KHUDA KI BANDAGI
मैंने खुदा से पूछा !
किस से सीखू मैं खुदा की बंदगी,
सब लोग खुदा के बँटवारे किए बैठे है,
जो लोग कहते है खुदा कण कण में है,
वही मंदिर, मस्जिद, गुरूद्वारे लिए बैठे हैं !
उसका जवाब आया
कुदरत कीम न जानिए वड्डा वेपर्वहो ||
कर बन्दे तू बंदगी जिच्हर घाट मह साहो ||
हे इन्सान खुदा की अपार शक्ति की कीमत तुम नहीं जान सकते | वह बहुत विशाल है उसको किसी की मोह्थाज्गी नही !
तू तब तक बंदगी कर जब तक तेरे शरीर मह साह चल रहे हैं |
KHUDA KI BANDAGI
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