भस्त्रिका प्राणायाम – Bhastrika Pranayama (Bellows Breathing Exercise)
भस्त्रिका का अर्थ “धौकनी” होता है। भस्त्रिका शब्द संस्कृत भाषा से लिया गया है। अंग्रेज़ी में इस प्राणायाम अभ्यास को Bellows Breathing Technique कहा जाता है। जिस प्रकार एक लौहार उष्णता उत्पन्न करने के लिए धौकनी की मदद से तेज़ हवा छोड़ कर, लोहे को तपा कर, उसकी अशुद्धियाँ दूर करने और उसे आकार देने की प्रक्रिया करता है। ठीक वैसे ही भस्त्रिका प्राणायाम में शरीर के अंदर की अशुद्धता और नकारात्मकता को दूर करने के लिए, “धौकनी” की तरह प्रबल वेग से अशुद्ध वायु बाहर निकाला जाता है। और उसी गति से शुद्ध प्राणवायु शरीर के अंदर लिया जाता है।
वात, पित्त और कफ इन त्रिदोष समस्याओं को दूर करने के लिए भस्त्रिका प्राणायाम एक राम-बाण इलाज है। वर्तमान समय में प्रदूषण युक्त वातावरण में शरीर की अशुद्धि दूर करने के लिए यह एक उत्तम प्राणायाम है। मानव शरीर के फेफड़े दूषित हवा, धूल मिट्टी और अन्य अशुद्धियों से ग्रस्त होने पर, भस्त्रिका प्रणाम करना अति लाभदायक होता है।
भस्त्रिका प्राणायाम कैसे करें – How to Do Bhastrika Pranayam
भस्त्रिका प्राणायाम करने के लिए दिन में सुबह का समय अच्छा रहता है। किसी स्वच्छ, समतल जगह का चयन कर के, सर्वप्रथम वहाँ पर आसन बिछा लेना चाहिए।
भस्त्रिका प्राणायाम पद्मासन या सुखासन मै बैठ कर किया जा सकता है। यह प्राणायाम (Yoga) करते वक्त अपने शरीर को स्थिर अवस्था में रखना अति आवश्यक है।
अब यह सुनिश्चित कर लें की आप का सिर, गला, पीठ तथा मेरुदंड सीधे हों। और भस्त्रिका प्राणायाम करते वक्त अपना मुह भी बिलकुल बंद रखें।
अब अपने दोनों नासिका छिद्रों से एक गति से पूरी सांस अंदर लें। पूरी सांस अन्दर लेने के बाद, दोनों नासिका छिद्रों से एक गति से पूरी सांस को बाहर निकालें। सांस अंदर लेने और छोड़ने की गति “धौकनी” की तरह तीव्र होनी चाहिए और सांस को पूर्ण रूप से अन्दर और बाहर लेना चाहिए।
भस्त्रिका प्राणायाम करते वक्त जब सांस अंदर की और लें तब फेंफड़े फूलने चाहिए। और जब सांस बाहर त्याग करें तब फेंफड़े सिकुड़ने चाहिए।
भस्त्रिका प्राणयाम शिव संकल्प – Meditation/Noble Resolution for Bhastrika Pranayama
भस्त्रिका प्राणायाम करते वक्त जब सांस शरीर के अंदर लें तब मस्तिष्क पर ध्यान लगाएं। अपने आसपास अलौकिक शांति और शुद्धता का भास करें। अपने चित्त को प्रफुल्लित कर के आंतरिक खुशी का भास करें। और ऐसा महसूस करें की आप के आसपास और समस्त ब्रह्मांड में मौजूद लाभदायी तत्व आप के शरीर में प्रवेश कर रहे हैं। इस प्रकार की मानसिक सोच के साथ अगर भस्त्रिका प्राणायाम किया जाए तो उसका लाभ कई गुना अधिक बढ़ जाता है।
भस्त्रिका प्राणायाम समय सीमा – Bhastrika Pranayama Duration
भस्त्रिका प्राणायाम करने के लिए सुबह का समय सर्वोत्तम बताया गया है, परंतु अगर कोई व्यक्ति काम काज की वजह से या किसी अन्य कारण से सुबह में भस्त्रिका प्राणायाम ना कर पाये तो, वह इस अभ्यास को भोजन करने के 5 घंटे बाद भी कर सकता है। भस्त्रिका प्राणायाम हमेशा खाली पेट ही करना चाहिए।
भस्त्रिका प्राणायाम करते वक्त, श्वास अंदर लेने का समय और श्वास बाहर छोड़ने का समय एक समान रखना होता है। भस्त्रिका प्राणायाम करते समय सांस अंदर लेने का समय ढाई सेकंड (2.5 sec) और सांस बाहर छोड़ने का समय भी ढाई सेकंड (2.5 sec)आदर्श बताया गया है| इस तरह भस्त्रिका प्राणायाम एक मिनट में 12 बार किया जा सकता है।
भस्त्रिका प्राणायाम शुरुआत में प्रति दिन 2 मिनट तक करना चाहिए और अभ्यास बढ़ जाने पर 5-10 मिनट तक नित्य करना चाहिए।
शुरुआत में भस्त्रिका प्राणायाम करने पर थकान महसूस होना आम बात है। एक हफ्ते के निरंतर अभ्यास के बाद कोई भी व्यक्ति भस्त्रिका प्राणायाम बिना रुके पाँच मिनट तक कर लेने की क्षमता प्राप्त कर लेता है।
एक सामान्य व्यक्ति को भस्त्रिका प्राणायाम दिन में पांच मिनट करना काफी होता है| पर कैंसर, फेफड़ों की तकलीफ वाले व्यक्ति, मांस पेशीयों के रोगी, और अन्य विकट बीमारीयों से ग्रस्त व्यक्ति को यह प्राणायाम 10 मिनट तक करना चाहिए। (एक मिनट में 12 बार भस्त्रिका ऐसे 10 मिनट = यानि की कुल 120 भस्त्रिका)
स्वस्थ व्यक्ति भस्त्रिका प्राणायाम को दिन में एक ही समय कर के इसका लाभ उठा सकते है। और विकट रोगों से ग्रस्त व्यक्ति भस्त्रिका प्राणायाम दिन में दो बार कर सकते हैं। (डॉक्टर की सलाह के बाद)।
भस्त्रिका प्राणायाम के लाभ या फायदे – Benefits of Bhastrika Pranayama
मन और शरीर को ऊर्जा प्राप्त होती है। शरीर में फुर्ती आ जाती है।
भस्त्रिका प्राणायाम के नित्य अभ्यास से टीबी, कैंसर, दमा और दूसरे भयानक रोगों के रोगी को स्वास्थ्य में चमत्कारिक सुधार देखने को मिलता है। और फेफड़े भी मज़बूत होते है।
भस्त्रिका प्राणायाम अभ्यास करने से से व्यक्ति के शरीर में oxygen की मात्रा हमेशा संतुलित रहती है।
मोटापे की समस्या से पीड़ित व्यक्ति को भस्त्रिका प्राणायाम के नित्य अभ्यास से शरीर पर जमी चर्बी कम करने में मदद मिलती है और वजन कम(Weight Loss) होता है|
भस्त्रिका प्राणायाम करने से शरीर की सभी नाड़ियों की शुद्धि होती है और शरीर में रक्त संचार प्रक्रिया (Blood Circulatory System) में सुधार आता है।
पाचन शक्ति मजबूत करने में भस्त्रिका प्राणायाम अभ्यास मददगार होता है। इस प्रक्रिया में पेट को अच्छी ख़ासी कसरत मिल जाती है, इसलिए पेट के सारे अंदरूनी अंग मज़बूत बनते हैं।
भस्त्रिका प्राणायाम करने से पहले सावधानी – Precaution/Side Effects for Bhastrika Pranayama
भस्त्रिका प्राणायाम शुरू करने से पूर्व नाक साफ कर लेना चाहिए। और यह प्राणायाम सम्पन्न कर लेने के बाद अनुलोम-विलोम प्राणायाम(Anulom Vilom Pranayama) का अभ्यास कर के श्वसन क्रिया सामान्य कर लेनी चाहिए।
गर्मी के मौसम में भस्त्रिका प्राणायाम सुबह के समय ही करना चाहिए। तथा सामान्य चक्र में ही करना चाहिए। (अधिक तीव्र गति में नहीं)।
गर्भवती महिला, हर्निया के रोगी, हृदय रोगी, मिर्गी के रोगी, पथरी के रोगी, अल्सर के रोगी, उच्च रक्त चाप के रोगी, सायनस के रोगी, मस्तिष्क आघात रोगी (brain stroke patient)…. इन सभी अवस्था वाले व्यक्ति भस्त्रिका प्राणायाम “ना” करें। उनके लिए यह प्राणायाम अभ्यास हानिकारक होता है।
भस्त्रिका प्राणायाम करते समय जी गबराने लगे, चक्कर आने लगे, उल्टी आने लगे, या किसी भी असामान्य अवस्था का आभास होने लगे तो डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए|
अगर किसी व्यक्ति को नाक से संबंधी या पेट से जुड़ी एलर्जी हों तो, उन्हे भस्त्रिका प्राणायाम केवल डॉक्टर की सलाह के बाद ही करना चाहिए। नाक की हड्डी टेड़ी हों, या बढ़ रही हों उन्हे भी डॉक्टर की सलाह ले कर ही भस्त्रिका प्राणायाम का अभ्यास करना चाहिए।
भस्त्रिका प्राणायाम – Bhastrika Pranayama (Bellows Breathing Exercise)