संत कबीर दास के लोकप्रिय दोहे – Kabir Ke Dohe with Meaning in Hindi
संत कबीर दास के लोकप्रिय दोहे – Kabir Ke Dohe with Meaning in Hindi
संत कबीर (Kabir) जी का हिंदी साहित्य (Hindi Sahitya) में विशिष्ट स्थान है| वे बड़ी बड़ी बातों को अपने दोहों के माध्यम से बड़ी सरलता से समझा देते थे| कबीर दास के दोहे (Kabir ke Dohe) समझकर इन्सान यह समझ जाता है कि उसे क्या करना चाहिए और क्या नहीं| उनके दोहे हिन्दू मुस्लिम एकता को प्रोत्साहित करते है और यह बतलाते है कि लोग धर्म के नाम पर आपस में झगड़ते है लेकिन इस सच्चाई को नहीं जान पाते कि भगवान तो सभी के होते है|
दोहा:- हिन्दू कहें मोहि राम पियारा, तुर्क कहें रहमाना
आपस में दोउ लड़ी-लड़ी मरे, मरम न जाना कोई।
अर्थ : कबीर दास जी कहते है कि हिन्दुओं को राम प्यारा है और मुसलमानों (तुर्क) को रहमान| इसी बात पर वे आपस में झगड़ते रहते है लेकिन सच्चाई को नहीं जान पाते |
दोहा:- काल करे सो आज कर, आज करे सो अब
पल में प्रलय होएगी, बहुरि करेगो कब |
अर्थ:- कबीर दास जी कहते हैं कि जो कल करना है उसे आज करो और जो आज करना है उसे अभी करो| जीवन बहुत छोटा होता है अगर पल भर में समाप्त हो गया तो क्या करोगे|
दोहा:- धीरे-धीरे रे मना, धीरे सब कुछ होय
माली सींचे सौ घड़ा, ॠतु आए फल होय|
अर्थ:- कबीर दास जी कहते है कि हमेशा धैर्य से काम लेना चाहिए| अगर माली एक दिन में सौ घड़े भी सींच लेगा तो भी फल तो ऋतु आने पर ही लगेंगे|
दोहा:- निंदक नियरे राखिए, आंगन कुटी छवाय
बिन पानी, साबुन बिना, निर्मल करे सुभाय|
अर्थ:- कबीर जी कहते है कि निंदा करने वाले व्यक्तियों को अपने पास रखना चाहिए क्योंकि ऐसे व्यक्ति बिना पानी और साबुन के हमारे स्वभाव को स्वच्छ कर देते है|
दोहा:- माँगन मरण समान है, मति माँगो कोई भीख
माँगन ते मारना भला, यह सतगुरु की सीख|
अर्थ:- कबीरदास जी कहते कि माँगना मरने के समान है इसलिए कभी भी किसी से कुछ मत मांगो|
दोहा:- साईं इतना दीजिये, जा मे कुटुम समाय
मैं भी भूखा न रहूँ, साधु ना भूखा जाय|
अर्थ:- कबीर दास जी कहते कि हे परमात्मा तुम मुझे केवल इतना दो कि जिसमे मेरे गुजरा चल जाये| मैं भी भूखा न रहूँ और अतिथि भी भूखे वापस न जाए|
दोहा:- दुःख में सुमिरन सब करे, सुख में करै न कोय
जो सुख में सुमिरन करे, दुःख काहे को होय|
अर्थ:- कबीर कहते कि सुख में भगवान को कोई याद नहीं करता लेकिन दुःख में सभी भगवान से प्रार्थना करते है| अगर सुख में भगवान को याद किया जाये तो दुःख क्यों होगा|
दोहा:- तिनका कबहुँ ना निन्दिये, जो पाँवन तर होय
कबहुँ उड़ी आँखिन पड़े, तो पीर घनेरी होय।
अर्थ:- कबीर दास जी कहते है कभी भी पैर में आने वाले तिनके की भी निंदा नहीं करनी चाहिए क्योंकिं अगर वही तिनका आँख में चला जाए तो बहुत पीड़ा होगी|
दोहा:- साधू भूखा भाव का, धन का भूखा नाहिं
धन का भूखा जी फिरै, सो तो साधू नाहिं।
अर्थ:- कबीर दास जी कहते कि साधू हमेशा करुणा और प्रेम का भूखा होता और कभी भी धन का भूखा नहीं होता| और जो धन का भूखा होता है वह साधू नहीं हो सकता|
दोहा:- माला फेरत जुग भया, फिरा न मन का फेर,
कर का मनका डार दे, मन का मनका फेर।
अर्थ:- कबीर जी कहते है कि कुछ लोग वर्षों तक हाथ में लेकर माला फेरते है लेकिन उनका मन नहीं बदलता अर्थात् उनका मन सत्य और प्रेम की ओर नहीं जाता| ऐसे व्यक्तियों को माला छोड़कर अपने मन को बदलना चाहिए और सच्चाई के रास्ते पर चलना चाहिए|
दोहा:- जग में बैरी कोई नहीं, जो मन शीतल होय
यह आपा तो डाल दे, दया करे सब कोय।
अर्थ:- कबीर दास जी कहते है अगर हमारा मन शीतल है तो इस संसार में हमारा कोई बैरी नहीं हो सकता| अगर अहंकार छोड़ दें तो हर कोई हम पर दया करने को तैयार हो जाता है|
दोहा:- जैसा भोजन खाइये , तैसा ही मन होय
जैसा पानी पीजिये, तैसी वाणी होय।
अर्थ:- कबीर दास जी कहते है कि हम जैसा भोजन करते है वैसा ही हमारा मन हो जाता है और हम जैसा पानी पीते है वैसी ही हमारी वाणी हो जाती है|
दोहा:- कुटिल वचन सबतें बुरा, जारि करै सब छार
साधु वचन जल रूप है, बरसै अमृत धार।
अर्थ:- बुरे वचन विष के समान होते है और अच्छे वचन अमृत के समान लगते है|
दोहा:- जिन खोजा तिन पाइया, गहरे पानी पैठ
मैं बपुरा बूडन डरा, रहा किनारे बैठ|
अर्थ:- जो जितनी मेहनत करता है उसे उसका उतना फल अवश्य मिलता है| गोताखोर गहरे पानी में जाता है तो कुछ ले कर ही आता है, लेकिन जो डूबने के डर से किनारे पर ही बैठे रह जाते हैं वे कुछ नहीं कर पाते हैं|
संत कबीर दास के लोकप्रिय दोहे – Kabir Ke Dohe with Meaning in Hindi